‘संस्कार गंगोत्री’ याने ‘गंगोत्री फ्यूनरल’

इन दिनों गूगल बाबा के करिश्मे मुझे लिखने नहीं दे रहे। बार-बार रोक देते हैं। मैं हिन्दी में लिख रहा होता हूँ और गूगल बाबा अचानक ही वह सब अंग्रेजी में परोसने लगते हैं।

लम्बे समय से मेरे ब्लॉग की फीड गड़बड़ चल रही थी। मित्रों ने समझ लिया कि मैंने लिखना बन्द कर दिया है। उनका ऐसा समझना वाजिब भी था। ऐसी हरकत मैं पहले कर जो चुका हूँ!

किन्तु लिखते रहने के बाद भी जब उलाहने मिलते रहे तो मैंने अपने गुरु रविजी (श्री रवि रतलामी) से सम्पर्क किया। तकनीक के मामले में मेरा हाथ भरपूर तंग है। फिर भी उनके परामर्श पर मैंने कुछ उठापटक की, किन्तु कोई नतीजा नहीं निकला। उलाहने बराबर आते रहे।

एक दिन अपने बड़े बेटे वल्कल से मैंने अपना दुखड़ा रोया। उसने तसल्ली से मेरी पूरी बात सुनी। मुझसे रविजी का नम्बर लेकर उनसे सलाह ली और अपने स्तर पर काफी मेहनत की। उसकी मेहनत रंग लाई और मेरे ब्लॉग की फीड मिलनी शुरु हो गई। पहले जहाँ मेरी पोस्टों की तलहटी सूनी सपाट पड़ी रहती थी, वहाँ अब कृपालुओं की टिप्पणियों के अंकुर लहलहाने लगे।

लेकिन केवल यही नहीं हुआ। इसके साथ शुरु हो गया, मेरे ब्लॉग का अयाचित, स्वतः अंग्रेजी अनुवाद। मैं अपना ब्लॉग देख रहा होता हूँ और अचानक ही पूरी पोस्ट अंग्रेजी में बदल जाती है।

मैंने वल्कल को बताया। उसने अपने स्तर पर कुछ देख भाल करने की कोशिश की किन्तु उसे न तो इसका कारण मिल पाया और न ही निदान। सो, मेरे लिखे का अकस्मात स्वतः अंग्रेजी अनुवाद जारी है।

शुरु-शुरु में मुझे चिढ़ होती थी किन्तु अब मैं इसका आनन्द लेने लगा हूँ। मैं हिन्दी में लिखता कुछ और हूँ और गूगल बाबा अंग्रेजी में उसका अनर्थ कर देते हैं।

कुछ नमूनों का आनन्द आप भी लीजिए -

मैंने लिखा - मेरे अवगुण चित न धरो।
गूगल बाबा ने लिखा - आई डू नॉट डिमेरिट धरो हेड्स।

मैं - हिन्दी जाल जगत् में और भी।
गूगल बाबा - हिन्दी नेट किंगडम एण्ड आल्सो।

मैं - अपनी गरेबान।
गूगल बाबा - योअर नेक।

मैं - संस्कार गांगोत्री : माँ।
गूगल बाबा - गंगोत्री फ्यूनरल : मदर।

मैं - बच्ची को पढ़ाओ मत : कार खरीदो।
गूगल बाबा - डू पढ़ाओ बेबी : बाय कार।

मैं - कुछ अपनी।
गूगल बाबा - सम ऑफ योअर।

मैं -ऑल इज वेल।
गूगल बाबा -ऑल इज बेल।

मैं - वे इसके बिना भी नौकरी आराम से कर सकते थे।
गूगल बाबा - विदआउट इट दे कुड हेव लेफ्ट देयर जॉब्स टू रिलेक्स।

मैं - माज़ी की कोई शकल नहीं होती। (यहाँ ‘माज़ी’ से मेरा तात्पर्य ‘अतीत’ था।)
गूगल बाबा - मदर हेज नो फेस।

ये तो वे नमूने हें जो मुझे अचानक ही नजर आ गए, जिन्हें एकत्र करने के लिए मैंने कोई कोशिश नहीं की। कोशिश करुँ तो शायद नई भाषा के चुटकुलों का अच्छा-भला संग्रह हो जाए।

मुझे चिढ़ अब इस कारण भी नहीं होती कि अब तक मैं हिन्दी को हिंग्लिश में बदले जाने के आपराधिक दुष्कृत्य से खिन्न होता रहा हूँ। किन्तु गूगल बाबा द्वारा किए जा रहे इस अयाचित स्वतः अंग्रेजी अनुवाद से अंग्रेजी की भी खटिया खड़ी हो रही है।

जय गूगल बाबा! लगे रहो।

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आपकी बीमा जिज्ञासाओं/समस्याओं का समाधान उपलब्ध कराने हेतु मैं प्रस्तुत हूँ। यदि अपनी जिज्ञासा/समस्या को सार्वजनिक न करना चाहें तो मुझे bairagivishnu@gmail.com पर मेल कर दें। आप चाहेंगे तो आपकी पहचान पूर्णतः गुप्त रखी जाएगी। यदि पालिसी नम्बर देंगे तो अधिकाधिक सुनिश्चित समाधान प्रस्तुत करने में सहायता मिलेगी।

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12 comments:

  1. अरे चिंता काहे की ?
    रवि जी आते ही होंगे !
    नहीं तो फोन घुमाइए ना !

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  2. क्या आपने गूगल की ट्रांस्लेसन सेवा का कोई विजेट या कोड लगाया है ?

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  3. मज़ेदार अनुवाद ... और चाहिये!

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  4. विष्णु बैरागी जी,
    आप अच्छा लिखते है ...

    आपकी पिछली पोस्ट से
    सहमत तो नहीं हूँ, पर आपकी कथाये बहुत अच्छी लगी ....

    मेरे ब्लॉग पर जो भी जोक्स है वो मैंने नहीं बनाये है वो या तो सुने हुए है या
    फिर कही से कॉपी किये गए है ....
    आज मेने सरदार जी पर जोक लिखा तो लोगो ने मेरा विरोध किया, किसी
    भी जोक में कोई न कोई पात्र तो होता ही है .. कल को लोग विरोध करेंगे
    इस पर मत लिखो उस पर मत लिखो .... मैंने जन भावनाओ का सम्मान
    करते हुए अपनी पोस्ट में परिवर्तन भी कर दिया .... लेकिन किस किस को
    रोक पाएंगे लोग .....
    अब मेरा विरोध करने वाले लोगो को इन्हें भी रोकना चाहिए -
    http://www.santabanta.com/trivia.asp?sms=1&catid=40
    और इन्हें भी
    http://www.dinesh.com/india_jokes-humor/sardar_jokes.html
    http://www.litejokes.com/hindi/jokes002.html

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  5. बैरागी जी,
    आभार आपका मेरे ब्लॉग पर आने के लिए...

    और मेरी टिपण्णी पर ध्यान देने के लिए ....
    आप मुझे मेल करने के लिए इस ई-मेल का प्रयोग कर सकते है ...
    gajendra201004@rediffmail.com
    आपकी ई-मेल की प्रतीक्षा रहेगी ..

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  6. `गूगल बाबा अचानक ही वह सब अंग्रेजी में परोसने लगते हैं'

    तो बराहा बाबा की शरण में आ जाइए ना हमारी तरह :)

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  7. अजी काहे परेशानं हो रहे हे, ऊपर एक अप्शन तो हे ना, हिन्दी अग्रेजी का तो वहा अग्रेजी या हिन्दी से कुछ भी छेड खानी मत करे, बारहा चलाये ओर फ़िर हिन्दी मे लिखे, कोई झंझट नही, वर्ना फ़िर से अपने शेर को पकड ले, गुगल की कारसतांनी बहुत अच्छी लगी धन्यवाद

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  8. कई दिन से छुट्टी पर थी। इस लिये नही आ सकी। वैसे गूगल बाबा आपका अंग्रेजी ग्यान खूब बढा रहे हैं। शुभकामनायें।

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  9. @विष्णु बैरागी जी !
    आप कौन सा ब्राउजर इस्तेमाल कर रहे हैं?

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