‘विस्फोट‘ बना अखबारों का नायक

हिन्दी चिट्ठाकारों को ‘लख-लख बधाइयां’ ।

हिन्दी ब्लाग अब तक तो समग्र रूप से अखबारों के स्तम्भ का विषय होते रहे हैं लेकिन कोई एक ब्लाग पहली बार पूरे स्तम्भ की विषय वस्तु बना है ।

हिन्दी का अग्रणी ब्लाग, ‘विस्फोट‘ आज ‘दैनिक भास्कर’ के मालवांचल के संस्करणों में और रतलाम से प्रकाशित ‘साप्ताहिक उपग्रह’ में अत्यधिक प्रमुखता से, नायक की तरह प्रस्तुत हुआ है । ‘भास्कर’ ने अपने साप्ताहिक साहित्यिक परिशिष्ट ‘दस्तक’ का ‘ब्लाग यायावरी’ स्तम्भ पूरी तरह ‘विस्फोट’ को समर्पित किया है । इसका शीर्षक है - ‘खबरों को उजागर करने की आम सहमति’ और एण्ट्रो है - ‘विस्फोट’ एक वेब साइट है और यहीं पर ब्लाग ‘बारूद’ (विस्फोट) मौजूद है । यहां वे खबरं भी मिलेंगी जो आम जिन्दगी से जुड़ी हैं लेकिन जो मुखर नहीं हो पातीं ।

स्तम्भकार सन्दीप राय की टिप्पणी ‘विस्फोट’ के लिए अत्यधिक सम्मानजनक और महत्वपूर्ण है । उन्होंने लिखा है - तमाम न्यूज पोर्टलों की बनिस्बत ‘विस्फोट’ डाट काम को देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुचना बहुत मुि‍श्कल नहीं लगता कि वहां बाजार हावी है यहां विचार । वहां बाजार का अनुशासन हावी है यहां सरोकार और नैतिकता का अनुशासन है । वहां जिन खबरों पर सेंसर है यहां उन पर बहस का माहौल है । ‘विस्फोट’ के फोरम पर ऐसे अनछुए मुद्दों पर भी बहस मौजूद है जो समाज के एक तबके को खासा प्रभावित कर रहे हैं ।

कुल मिलाकर यह कहना मुनासिब होगा कि हिन्दी ब्लागिंग में नैतिक अनुशासन को जो मुद्दा कभी आलोचक-कवि मंगलेश डबराल ने उठाया था, ‘विस्फोट’ पर संकलित सामग्री उसका जवाब है ।

इसी प्रकार रतलाम से प्रकाशित हो रहे ‘साप्ताहिक उपग्रह’ ने भी विस्फोट’ और इसके कर्ता-धर्ता श्री संजय तिवारी को प्रमुखता से प्रस्तुत किया है ।’

‘उपग्रह’ का समाचार शब्दश: इस प्रकार है -

यह श्रेय ‘विस्फोट’ और संजय तिवारी को जाता है (मुख्य शीर्षक)

मामला बाल फिल्मी कलाकारों को बाल श्रमिक मानने और ‘वेब पत्रकारिता’ शुरु होने का (उप शीर्षक)

फिल्मी बाल कलाकारों को बाल श्रमिक क्यों नहीं माना जाए - यह सवाल पूछ कर भले ही केन्द्रीय महिला और बाल विकास मन्त्री रेणुका चैधरी सुर्खियों में आ गई हो लेकिन इसका श्रेय, संजय तिवारी के हिन्दी ब्लाग ‘विस्फोट’ को जाता है । ‘विस्फोट’ ने अपने 3 मार्च 2008 वाले अंक में सबसे पहले यह सवाल उठाया था । उल्लेखनीय बात यह है कि इस मामले में रेणुका चैधरी का, मीडिया को दिए गए वक्तव्य की शब्दावली लगभग वही की वही थी जो ‘विस्फोट’ की थी ।‘विस्फोट’ की इस सफलता के साथ ही हिन्दी पत्रकारिता की नई विधा ‘वेब पत्रकारिता’ का भी शुभारम्भ हुआ है जिसका समूचा श्रेय संजय तिवारी के खाते में जाता है । वे दिल्ली में मुक्त पत्रकार हैं और सम सामयिक मुद्दों पर उनकी सीधी और सधी हुई टिप्पणियाँ सदैव विचारोत्तेजक बहस शुरु करती हैं । ‘विस्फोट’ पर की गई संजय तिवारी की टिप्पणियाँ ‘उपग्रह’ के पाठक प्रायः ही पढ़ते रहते हैं ।

इतिहास में दर्ज की जाने वाली इन उपलब्धियों के लिए, अपने तमाम पाठकों सहित ‘उपग्रह’ की ओर से श्री तिवारी और उनके हिन्दी ब्लाग ‘विस्फोट’ को हार्दिक बधाइयाँ ।

आज शाम मैं अपने ब्‍लाग गुरू श्री रवि रतलामी के निवास पर जाकर जश्‍न मनाउंगा ।


2 comments:

  1. संजय जी को बधाई।

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  2. संजय भाई बहुत उम्दा कार्य कर रहे हैं. मेरी बहुत बधाई और शुभकामनाऐं हैं उनको.

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